KTU Crisis 2025: ना सैलरी, ना एग्जाम, ना सर्टिफिकेट! क्या Kerala Technological University में रुक जाएंगे पढ़ाई और भविष्य के सारे रास्ते?

केरल टेक्नोलॉजिकल यूनिवर्सिटी (KTU) 2025 में अपने सबसे बड़े वित्तीय और प्रशासनिक संकट से जूझ रही है। यह यूनिवर्सिटी, जिसे राज्य की सबसे प्रतिष्ठित तकनीकी संस्थाओं में गिना जाता है, इन दिनों बुरी तरह से सुर्खियों में है—लेकिन इस बार वजह है गंभीर परेशानी।

ना स्टाफ को सैलरी मिल रही है, ना पेंशनधारकों को भुगतान हो रहा है। छात्रों की परीक्षाएं, मूल्यांकन और यहां तक कि डिग्री व अन्य सर्टिफिकेट भेजने तक के लिए यूनिवर्सिटी के पास फंड नहीं हैं।

इस खबर के बाहर आते ही KTU से जुड़े हजारों छात्रों, अभिभावकों और स्टाफ के बीच बेचैनी और गुस्सा साफ दिखाई दे रहा है। कई छात्र जो विदेशों में हायर स्टडीज़ के लिए अप्लाई कर रहे हैं, या जिनका प्लेसमेंट चल रहा है, उन्हें डिग्री न मिलने की वजह से ऑफर्स खतरे में पड़ते दिख रहे हैं।

यूनिवर्सिटी के आंतरिक सूत्रों की मानें तो यह संकट अचानक नहीं आया, बल्कि कई महीनों से अंदर ही अंदर बढ़ता जा रहा था। प्रशासनिक फंड्स की मंज़ूरी में देरी, पेंडिंग पेमेंट्स, और राजनीतिक हस्तक्षेप ने हालात को और बिगाड़ दिया है।

शिक्षकों और स्टाफ ने चेतावनी दी है कि अगर जल्द समाधान नहीं मिला तो वो काम बंद करने पर मजबूर होंगे। कई विभागों में पहले ही सेवाएं बाधित हो चुकी हैं, और क्लासेज़ या एग्जाम शेड्यूल्स में अनिश्चितता साफ देखी जा रही है।

कुछ छात्रों ने यह भी दावा किया है कि उन्हें पिछले सेमेस्टर के रिजल्ट या रिवैल्यूएशन रिपोर्ट अब तक नहीं मिली हैं, जिससे उनका करियर दांव पर लग गया है।

सवाल यह है कि इतनी बड़ी यूनिवर्सिटी, जो हजारों छात्रों को हर साल इंजीनियरिंग डिग्री देती है, वह अचानक इस कगार पर कैसे पहुंच गई? विशेषज्ञों का मानना है कि यह “सिस्टमिक फेल्योर” है—जहां वित्तीय प्रबंधन, शासन और प्राथमिकताओं में लापरवाही ने यूनिवर्सिटी की जड़ों को ही हिला दिया है।

अगर यही स्थिति बनी रही, तो इसका असर सिर्फ वर्तमान छात्रों पर नहीं पड़ेगा, बल्कि KTU की ब्रांड वैल्यू, भविष्य के एडमिशन और भारत की उच्च तकनीकी शिक्षा प्रणाली पर भी पड़ेगा।

सरकार की ओर से अब तक कोई ठोस प्रतिक्रिया नहीं आई है, लेकिन छात्रों और पेरेंट्स का प्रेशर लगातार बढ़ रहा है। सोशल मीडिया पर KTU क्राइसिस ट्रेंड करने लगा है और #SaveKTU जैसे हैशटैग्स छात्रों के समर्थन में चल रहे हैं।

कुल मिलाकर, KTU का यह संकट अब सिर्फ यूनिवर्सिटी तक सीमित नहीं है, यह एक राज्यस्तरीय और राष्ट्रीय शिक्षा नीति से जुड़ा सवाल बनता जा रहा है।

FAQs:

Q1. KTU में फिलहाल सबसे बड़ी समस्या क्या है?
Ans: यूनिवर्सिटी के पास स्टाफ की सैलरी, पेंशनधारकों को भुगतान और परीक्षाओं के आयोजन के लिए जरूरी फंड नहीं हैं।

Q2. क्या छात्रों की परीक्षाएं प्रभावित होंगी?
Ans: जी हां, वित्तीय संकट के कारण परीक्षाओं का समय पर आयोजन और सर्टिफिकेट वितरण दोनों ही प्रभावित हो सकते हैं।

Q3. इस संकट का मुख्य कारण क्या है?
Ans: प्रशासनिक लापरवाही, फंड मैनेजमेंट की गड़बड़ियां और राजनीतिक हस्तक्षेप इस स्थिति की प्रमुख वजहें हैं।

Q4. क्या यूनिवर्सिटी बंद हो सकती है?
Ans: फिलहाल कोई आधिकारिक सूचना नहीं है, लेकिन अगर यह संकट जारी रहा, तो यूनिवर्सिटी की शैक्षणिक गतिविधियां ठप हो सकती हैं।

Q5. क्या राज्य सरकार इसमें हस्तक्षेप करेगी?
Ans: अभी तक कोई स्पष्ट बयान नहीं आया है, लेकिन बढ़ते दबाव और विरोध के चलते सरकार को जल्द कदम उठाने की संभावना है।

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